कहते हैं जिन लोगों का हौसला बुलंद होता है उन्हें दुनिया की कोई भी रुकावट उनकी मंजिल तक पहुंचने से रोक नहीं सकती। मजबूत हौसला ही व्यक्ति को उसके सपनों को पाने में मदद करता है। यदि आपका हौसला ही डगमगा जाता है तो आपकी सारी काबिलियत धरी की धरी रह जाती है। एक ऐसे ही बुलंद हौसले वाले नौजवान शख्स की दास्तान इस लेख में हम आपको बताने जा रहे हैं जो शरीर से दिव्यांग होने के बावजूद भी माउंट एलब्रुस पर तिरंगा फहराने जैसा बुलंद इरादा लेकर चढ गया।
जिस शख्स की हम बात कर रहे हैं उनका नाम चित्रसेन साहू है। चित्रसेन साहू छत्तीसगढ़ के रायपुर जिले के रहने वाले हैं। चित्रसेन साहू की दोनों टांगे एक ट्रेन हादसे में चली गई। दोनों पैर ना होने के बावजूद भी चित्रसेन में आर्टिफिशियल टांगे लगवा कर रूस के माउंट एलब्रुस की ऊंचाई को छू कर दिखाया। चित्रसेन साहू भारत के पहले ऐसे व्यक्ति है जिन्होंने आर्टिफिशियल पैरों के जरिए माउंट एलब्रुस की चोटी पर पहुंच कर दिखाया।
चित्रसेन को माउंट एलब्रुस की चढ़ाई करने में करीब 8 घंटे का समय लगा। चित्रसेन ने कहा कि पर्वत की चढ़ाई करते समय बीच में ही उनकी तबीयत भी खराब होने लगी थी। पहाड़ पर का तापमान-15 से लेकर -25 डिग्री सेल्सियस था। ऐसे वातावरण में माउंट एलब्रुस की चढ़ाई करना काफी कठिन साबित हो रहा था। चित्रसेन पानी पीते थे तो उन्हें उल्टी हो जाती थी इसके साथ ही उनके पैरों में भी काफी दर्द हो रहा था। परंतु चित्रसेन साहू का लक्ष्य केवल पर्वत की चोटी पर पहुंचना था और इसलिए उन्होंने अपने लक्ष्य को आंखों के सामने रखते हुए एक पेन किलर खाई और फिर से चढ़ाई करने में जुट गए।
चित्रसेन ने माउंट एलब्रुस पर चढ़ने के लिए 10 घंटे का समय तय किया था परंतु उनकी हिम्मत और जोश इतने चरम पर थी कि उन्होंने 8 घंटे में ही माउंट एलब्रुस की चोटी को छू लिया। चित्रसेन साहू माउंट एलब्रुस की चोटी पर पहूचकर दिव्यांग लोगों को प्रेरक संदेश देना चाहते थे और इसके साथ ही प्लास्टिक के नीषेदार्थ लोगों को जागृत करने का भी संदेश वह देना चाहते थे।
छत्तीसगढ़ के @halfhumanrobo ने यूरोप महाद्वीप की 5642 मीटर सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस को ‘कृत्रिम पैरों’ की मदद से फतह कर प्रदेश को गौरवान्वित किया है।
चित्रसेन को बहुत-बहुत बधाई एवं उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं। pic.twitter.com/BVJPngQqIV— Governor Chhattisgarh (@GovernorCG) August 26, 2021Advertisement
चित्रसेन साहू 4 जून 2001 के दिन बिलासपुर से अमरकंटक एक्सप्रेस पकड़ कर अपने घर बालोद जा रहे थे। चित्रसेन को ट्रेन के सफर में बीच में प्यास लगी तो भाटापारा नाम के एक स्टेशन पर वह पानी लेने के लिए उतरे तभी अचानक ट्रेन का हॉर्न बज गया और ट्रेन चल पड़ी। इसी दौरान चलती ट्रेन को पकड़ने की कोशिश करते समय चित्रसेन का पांव फिसल गया और वह ट्रेन के नीचे आ गए जिसमें उनकी दोनों टांगे हताहत हो गई। अस्पताल में जाने पर डॉक्टर ने इंफेक्शन ना होने देने के लिए उनकी दोनों का टांगे शरीर से अलग कर दी।
अपनी दोनों टांगे गंवाने के बावजूद भी चित्रसेन साहू जीवन में कभी हताश नहीं हुए और कई खेलों में उन्होंने महारत हासिल की। चित्रसेन साहू में 14000 फीट की ऊंचाई से स्काईडाइविंग करके अपने नाम एक रिकॉर्ड कर लिया। चित्रसेन साहू अपने आर्टिफिशियल पैरों के जरिए अच्छी रनिंग भी करते हैं उसके साथ ही चित्रसेन साहू अच्छे स्विमर भी है। चित्रसेन साहू राष्ट्रीय व्हीलचेयर बास्केटबॉल के भी खिलाड़ी हैं।
