आँख से अंधा होना किस तरह का दर्द होता है ये बात हर कोई बहुत ही अच्छे से समझ सकता है क्योंकि जिसके जीवन में रोशनी ही न रहे वो किसी दुनिया को क्या देखेगा? मगर क्योंकि दुनिया अब बहुत ही अधिक तेजी के साथ में बदल रही है और इस बदल रही दुनिया में कई चीजे ऐसी भी हो रही है जो लोगो के लिए काफी मददगार साबित हुई है. इजरायल की एक स्टार्ट अप ने ऐसा ही कुछ करके दिखाया है जहां पर एक अंधे व्यक्ति को फिर से दुनिया में उजाला नजर आने लग गया है और ये काफी ख़ास है.
10 वर्ष से अँधा था पेशेंट, फिर से जिन्दगी में लौटी रोशनी
इजरायल में एक व्यक्ति जिसकी उम्र पूरे 78 वर्ष है उसकी आँखों की रोशनी चली गयी थी. उसे अभी हाल ही में उपजे हुए स्टार्ट अप ने अपनी तरफ से कृत्रिम आँख लगाई जिसके लिए सर्जिकल प्रक्रियाओ का प्रयोग किया गया और इसके बाद में उस व्यक्ति के आँखों की पट्टी खोली गयी जिसके बाद में उस व्यक्ति के आँखों के ऊपर से पट्टी हटाकर के उसके फैमिली मेम्बर्स को पहचानने के लिए और लिखे हुए अक्षर पहचानने के लिए कहा गया जिसे उसने सफलतापूर्वक पहचान लिया और इसे काफी ज्यादा बड़ी उपलब्धि के तौर पर देखा जा रहा है जो मानव इतिहास में पहली बार हुआ है.
अब नही पडती डोनर की जरूरत, लैब में ही बन जायेगी आँख
अब तक जो टेक्नोलॉजी उपलब्ध थी उसमे अगर कोई अपनी आँखे दान करता था तो उसे फिर वो आँखे दी जाती थी, तो ऐसे में लोगो को रौशनी मिल तो जाती थी लेकिन इसकी एक लिमिटेशन थी कि आपको कोई दानदाता तो चाहिए ही चाहिए, मगर अब जब कृत्रिम आँख इतनी सफल हो गयी है तो फिर किसी के लिए भी ये काम कर सकती है जो अपने आप में काफी सफल परिणाम भी दे रही है.
इजरायल की स्टार्ट अप कम्पनी है CorNeat
विश्व भर में कृत्रिम कोर्निया बनाने को लेकर के कई कम्पनियां काम कर रही हिया लेकिन इसमें इजरायल की स्टार्ट अप कम्पनी कोरनीट और इसके वैज्ञानिकों ने काफी बड़ी बढ़त हासिल कर ली है, ये कई वर्षो से इस मामले में रिसर्च कर रहे है और इन्होने इस मामले में कई सारे ट्रायल करके पहले ही अपने आपको बेहतर साबित किया था लेकिन 76 वर्षीय बुजुर्ग पर ये पहला कमर्शियल उपयोग था जो पूरी तरह से सफल रहा है और लोग इसे काफी अधिक पसंद भी कर रहे है.
अभी ये टेक्नोलॉजी केवल इस कम्पनी तक ही सीमित है लेकिन उम्मीद है कि आने वाले समय में या तो ये कम्पनी खुदको विश्व भर में विस्तारित करेगी या फिर टेक्नोलॉजी साझा की जायेगी जिससे कि दुनिया भर में कोर्निया का क्षय हो जाने के कारण से जिन लोगो की आँखे चली गयी है उन लोगो को कुछ हद तक मदद मिल सके. अगर ऐसा हो जाता है तो ये मानव इतिहास में काफी बड़ा काम होगा और इसके लिए लोग इनकी तारीफ़ कर भी रहे है क्योंकि ऐसा पहले कभी हुआ नही है.
