बैंक में पैसे को लेना हो या फिर उसे देना होता है तो उसके लिए कुछ एक नियम कायदे क़ानून होते है जिसके हिसाब से चलना पड़ता है. मगर कई बार स्थिति फिर ऐसी हो जाती है कि फिर वहाँ के कर्मचारी भी एक तरह से मजबूर ही हो जाते है. अभी हाल ही में एक ऐसा ही किस्सा पटना के सिगरिया नाम के गाँव का देखने में आया है जिसने एक पूरे बैंक के स्टाफ के बीच में अफरा तफरी ही मचा दी क्योंकि यहाँ पर एक ऐसा व्यक्ति अपने पैसे लेने पहुँच गया जो अब जीवित ही नही है.
गाँव वाले करना चाहते थे महेश का अंतिम संस्कार, आगे पीछे कोई नही तो बैंक वालो से पैसे मांगने पहुंचे
इस गाँव में एक महेश नाम का व्यक्ति रहता था जिसकी उम्र 55 वर्ष थी. उसका निधन हो गया और उसके आगे पीछे कोई नही था. उसने शादी तक नही की थी तो वो अकेला ही था. अब उसका निधन हो गया तो फिर लोगो को अंतिम संस्कार करना ही था लेकिन इसके लिए फिर खर्च कौन दे? गाँव के कुछ लोग बैंक मेनेजर के पास में पहुंचे और पैसे मांगे लेकिन अभी के लिए बैंक मेनेजर ने वो पैसा देने से मना कर दिया.
पैसा नही मिला तो शव को लकर ब्रांच में पहुँच गये गाँव के लोग
जब बैंक के लोगो ने पैसे देने से मना कर दिया जो उसके ही खाते के पैसे थे तो गाँव के लोग महेश का शव लेकर के बैंक की ब्रांच में पहुँच गये और कहने लगे कि ये रहा वो व्यक्ति जिसे पैसे चाहिए और जिसका अंतिम संस्कार करना है. इसके खाते में कुल 18 हजार रूपये पड़े है वो दे दिए जाए ताकि इसका जो भी अंतिम क्रियाकर्म हो सकता है वो किया जा सके. कई घंटो तक वो बैठे रहे तब बैंक मेनेजर ने खुद अपनी जेब से 10 हजार रूपये निकालकर के दिए तब जाकर के वो लोग गये.
बैंक के पास में कोई केवाईसी या नॉमिनी नही इसलिए नही निकल सकते पैसे
जब तक बैंक के खाते का मालिक था तब तक तो ठीक था वो जब चाहे अपने पैसे निकलवा सकता था लेकिन अब वो व्यक्ति नही है तो उस पैसे को निकालने का अधिकार सिर्फ उसके नॉमिनी को दिया जाता है और फ़िलहाल उसने अपने बैंक के खाते का नॉमिनी किसी को भी नही बनाया था जिसके चलते हुए बैंक उसके पैसे खाते से निकाल पाने में असमर्थ था.
इस तरह का ये अपने आप में पहला केस है जिसमे एक मरा हुआ व्यक्ति इस तरह से बैंक ब्रांच में पहुँच गया हो. कही न कही ये इतना भी बताता है कि जब भीड़ आ जाती है तो सिस्टम भी अक्सर मजबूर ही हो जाते है.
