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राजनीति

लोकसभा में कौनसा सदस्य कहां बैठेगा यह कैसे तय होता है? देखिए लोकसभा की सीटिंग अरेंजमेंट

दोस्तों भारत की संसद में दो सभाएं होती है जिनमें राज्यसभा ऊपरी सदन और लोकसभा निचला सदन होता है। लोकसभा के सभी सदस्य सीधे जनता के द्वारा निर्वाचित किए जाते हैं वही राज्यसभा के सदस्य राज्य की विधानसभाओं के सदस्यों के द्वारा निर्वाचित किए जाते हैं। बता दें कि लोकसभा में कुल 543 सांसद वर्तमान में मौजूद है। इसके साथ ही दो एंगलो इंडियन कम्युनिटी के सदस्यों को भी निर्वाचित किया जाता है।

इस लेख में हम जानेंगे कि आखिर इतने सारे सदस्यों की सीटिंग अरेंजमेंट लोकसभा में किस प्रकार से की जाती है। दरअसल लोकसभा में सीटिंग अरेंजमेंट के लिए जितनी सीटें दिखाई देती है उन्हें 6 ब्लॉक में बांटा गया है और इनमें 11 पंक्तियां है। लोकसभा में 22 फ्रंट सीटे भी होती है जिन्हें 6 ब्लॉक में विभाजित किया गया है। इसके साथ ही एक स्पीकर की चेयर होती है जहां से लोकसभा के हर सदस्य पर नजर रखी जा सकती है।

बता दे की संविधान के आर्टिकल 81 के तहत लोकसभा में 550 से ज्यादा सदस्य नहीं होनी चाहिए। इसके साथ ही आर्टिकल 331 कहता है कि लोकसभा में दो एंग्लो इंडियन कम्युनिटी के सदस्यों को भी चयनित किया जाना चाहिए। रूल्स ऑफ प्रोसीजर एंड कंडक्ट आफ बिजनेस के नियम 4 के अनुसार लोकसभा में सदस्य की सीट पर बैठेंगे इसका निर्णय लोकसभा के स्पीकर करते हैं।

बता दे कि लोकसभा में विपक्ष के लोग स्पीकर की कुर्सी के बाई और बैठते हैं और सत्ताधारी पक्ष के सदस्य स्पीकर की कुर्सी के दाई और बैठते हैं। लोकसभा के डिप्टी स्पीकर की चेयर विपक्ष की चेयर के प्रथम स्थान पर होती है और देश के प्रधानमंत्री की चेयर स्पीकर की चेयर सत्ताधारी पक्ष के ब्लॉक की प्रथम चेयर होती है। कौन सी पार्टी के कौन से सदस्य किस जगह पर बैठेंगे इसका फैसला उस पार्टी के जीत कर आए हुए सदस्यों के अनुपात से तय किया जाता है।

लोकसभा में कौन सा सदस्य की सीट पर बैठेगा यह तय करने के लिए एक फार्मूला भी बनाया गया है जिसके तहत यह देखा जाता है कि किसी पार्टी के जितने सदस्य चुनकर आए हैं उसे उस पंक्ति में मौजूद सीटों के साथ गुना किया जाता है। फिर इस संख्या को लोकसभा की कुल सीटों के साथ डिवाइड किया जाता है और उसी हिसाब से सीटिंग अरेंजमेंट दी जाती है। जिस पार्टी के 5 से कम सदस्य जीत कर आए हैं उन्हें कहां बिठाना है यह स्पीकर तय करते हैं। इसके साथ ही सदन में वरिष्ठता के आधार पर भी सदस्यों को आगे बिठाने पर पीकर अपनी राय देते हैं।

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