प्रतिवर्ष शारदीय नवरात्र आते ही देश में धूमधाम से नवरात्र उत्सव मनाया जाता है। देश के अनेकों हिस्से में दुर्गा देवी की स्थापना की जाती है और 9 दिनों तक दुर्गा देवी की पूजा की जाती है। इसके बाद दशहरा मना कर अगले दिन दुर्गा देवी का विसर्जन कर दिया जाता है। परंतु बनारस के काशी में एक ऐसी दुर्गा देवी स्थापित की गई है जो पिछले 254 सालों से एक ही जगह पर बनी हुई है जिसे कभी विसर्जित भी नहीं किया गया।
जानकारी के अनुसार काशी के बंगाली टोला इलाके में दुर्गा बाड़ी में 254 साल पहले एक बंगाली परिवार के द्वारा नवरात्रि के छठवें दिन दुर्गा देवी की प्रतिमा स्थापित की गई थी। बताया जाता है कि स्थापना के बाद नौवें दिन तक इस प्रतिमा की धूमधाम से पूजा की गई और नवरात्रि उत्सव मनाया गया। परंतु जब दशहरा खत्म होने के बाद देवी की प्रतिमा को विसर्जन के लिए उठाने का प्रयत्न किया गया तो कई लोगों के द्वारा उठाने के बावजूद भी यह देवी अपनी जगह से नहीं मिल पाई।
जीस बंगाली परिवार ने यह प्रतिमा यहां पर स्थापित की थी उस परिवार की पांचवीं पीढ़ी के व्यक्ति हेमंत ने बताया कि उस रात परिवार के मुखिया के सपने में देवी स्वयं आई थी और उन्होंने कहा था कि वे अब यहीं पर बात करेंगी जिसके बाद देवी की प्रतिमा को वहीं पर विराजित रहने दिया गया और प्रतिवर्ष नवरात्र उत्सव हैं पर धूमधाम से मनाया जाने लगा। इस प्रतिमा के केवल कपड़े बदले जाते हैं और हर 8 से 10 सालों में प्रतिमा को कलर किया जाता है।
253 साल होने के बावजूद भी यह मिट्टी की प्रतिमा आज भी बिल्कुल नई दिखाई देती है। हर नवरात्र उत्सव शुरू होने के साथ ही यहां पर पूरे काशी और बनारस के लोगों की भीड़ देवी के दर्शन के लिए इकट्ठा होती है। कहा जाता है कि यह देवी लोगों की मुरादें पूरी करती हैं। लोग दूर-दूर से इस देवी के दर्शन के लिए आते हैं और देवी के चमत्कार को मानते हैं।
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