दोस्तों जब कभी आप ने रावण का चित्र देखा होगा तो आपने देखा होगा कि जब रावण सिंहासन पर बैठा हुआ होता है तब उसके पैरो तले एक नीले रंग का आदमी दबा हुआ होता है। अक्सर कई लोगों के मन में यह सवाल जरूर उठता होगा कि आखिर यह नीले रंग का आदमी कौन है जो हमेशा रावण के पैरों तले दबा हुआ रहता है।
यह नीले रंग का आदमी और कोई नहीं बल्कि न्याय करने वाले देवता भगवान शनिदेव हैं। ऐसा कहा जाता है कि रावण बहुत ही प्रकांड पंडित था और उसे सभी वेदों का और शास्त्रों का ज्ञान था। उसने कड़ी तपस्या करके इतनी सारी शक्तियां अर्जित कर ली थी कि वह पूरे ब्रह्मांड पर ही अपना अधिपत्य स्थापित करना चाहता था। इतना ही नहीं बल्कि उसने नौ ग्रहों को भी अपने वश में कर लिया था।
दरअसल रावण चाहता था कि उसके जितने भी पुत्र हैं उन सभी पुत्रों की ग्रह दशा हमेशा अच्छी बनी रहे। इसलिए उसने सभी ग्रहों को अपने वश में कर लिया था। लेकिन एक शनि ग्रह ऐसे थे जो हमेशा अपनी जगह बदलते रहते थे। इसलिए रावण ने भगवान शनिदेव को अपने पास कैद कर लिया था और हमेशा अपने पैरों तले दबा कर रखता था।
लेकिन जब प्रभु श्री रामचंद्र जी का संदेश लेकर हनुमान जी माता सीता के पास अशोक वाटिका में पहुंचे तब हनुमानजी नहीं भगवान शनिदेव को रावण की कैद से मुक्त कराया था। रावण ने भगवान शनि देव को अपनी जेल में कैद करके बाहर एक शिवलिंग स्थापित करवा दिया था ताकि भगवान शनिदेव उस पर पर रखकर कभी बाहर नहीं निकल पाए।
लेकिन जब हनुमान जी ने लंका दहन किया था उस समय हनुमान जी को रावण की जेल में कैद शनि देव के दर्शन हुए और हनुमान जी ने शनिदेव को वहां से छुड़ाया था। यह एक बहुत ही पौराणिक कथा है। रावण ने ना सिर्फ भगवान शनिदेव को बल्कि अपने सौतेले भाई भगवान कुबेर को भी अपने जेल में कैद कर लिया था। बता दे कि भगवान कुबेर को धन के देवता कहा जाता है और पुरी सोने की लंका उनकी ही थी।
