आमतौर पर हम कई ऐसे विद्यार्थी देखते हैं जिनके पास सारी सुख सुविधाएं होने के बावजूद भी पढ़ने लिखने में ऐसे विद्यार्थी काफी आलसी होते हैं। लेकिन कुछ विद्यार्थी ऐसे भी होते हैं जो अपनी मेहनत और लगन के बलबूते पर अपनी कामयाबी को छूने का काम करते हैं। फिर चाहे परिस्थितियां कैसी भी हो। ऐसे होनहार विद्यार्थी अपनी मंजिल पाने के लिए रास्ता बना ही लेते हैं। ऐसे ही एक विद्यार्थी है गुजरात के रहने वाले अल्पेश राठौड़।
गुजरात के अरावली के मेघराज रहने वाले अल्पेश राठौड़ पढ़ने लिखने में काफी ज्यादा होशियार है। लेकिन परिवार की आर्थिक परिस्थिति बहुत ही ज्यादा डामाडोल है। अल्पेश के पिताजी गोलगप्पे का ठेला लगाते हैं जिस पर अल्पेश भी अपने पिता की मदद करते हैं। अल्पेश गोलगप्पे के ठेले पर अपने पिता के साथ लोगों के जूठे बर्तन धोने का काम करते हैं। लेकिन अब अल्पेश की किस्मत बदलने वाली है और वह डॉक्टर बनने जा रहे हैं।
हाल ही में अल्पेश राठौड़ ने डॉक्टरी की पढ़ाई के लिए जरूरी परीक्षा NEET पास कर ली है। इस परीक्षा में अल्पेश को 700 में से 613 अंक प्राप्त हुए हैं। अल्पेश ने पूरी जी जान एक करके इस परीक्षा को पास करने की तैयारी की थी। जिसमें वह सफल भी हो गए। इसलिए अब अपने आगे के सफर के लिए अल्पेश काफी ज्यादा खुश है। लेकिन इस कामयाबी के पीछे काफी बड़ा संघर्ष भी छुपा हुआ है। क्योंकि अल्पेश के लिए अपने पिता का हाथ बटाते हुए अपनी पढ़ाई पर ध्यान देना बिल्कुल भी आसान नहीं था।
अल्पेश राठौड़ रोजाना सुबह अपने पिता के मदद करने के लिए और पानी पूरी का मसाला तैयार करने के लिए 4:00 बजे उठ जाते हैं। इसके बाद वह पानी पूरी का ठेला सजाते हैं। बाद में जो समय बचता है उसमें घर के बाकी काम करके अपनी पढ़ाई पर ध्यान देते हैं। इसी बीच उन्हें अपने पिता के ठेले पर जाकर बर्तन साफ करने का भी काम करना पड़ता है। ऐसा ही रूटीन अल्पेश का बचपन से चला आ रहा है।
अल्पेश को दसवीं कक्षा में 93% अंक प्राप्त हुए थे जिसके बाद उनके टीचर ने भी उन्हें पढ़ाई करने के लिए और ज्यादा प्रोत्साहित किया। अल्पेश के मुताबिक उनके टीचर राजू पटेल ने उन्हें डॉक्टरी की पढ़ाई करने के लिए प्रोत्साहित किया था। जिसके बाद अल्पेश ने पूरी तरह से अपने टीचर की गाइडेंस में अपने आप को अपने पढ़ाई के लिए समर्पित कर दिया। अल्पेश एक बेहतरीन कार्डियोलॉजिस्ट बनना चाहते हैं और आगे चलकर वह न्यूरोलॉजिस्ट भी बनना चाहते हैं। अल्पेश की कामयाबी से उनके पूरे परिवार में खुशी का वातावरण है।
