हमें रोजमर्रा के जीवन में कई ऐसे उदाहरण देखने को मिलते हैं जहां पर पशु प्रेम के लिए लोग न जाने कैसी कैसी चीजें करते हैं। कुछ लोगों का पशु प्रेम इतना ज्यादा चरम सीमा को चला जाता है कि अपने घर पर पालने वाले जानवर को यह लोग अपने घर के सदस्य की तरह वितरित करते हैं और उस जानवर के लिए हर उस रस्मो रिवाज को निभाते हैं जो इंसान के लिए की जाती है।
ऐसा ही एक मामला राजस्थान के जैसलमेर जिले के धौलिया गांव से सामने आया है। इस गांव में रहने वाले शिव सुहाग ने यह देवता तुल्य काम कर दिखाया है। कुछ समय पहले ही यहां के एक गांव सनावड़ा के पास एक हिरण ने बच्चा दिया था। इसके 15 दिन बाद ही उस हिरण की मौत हो गई। जिसके बाद हिरण का बच्चा पूरी तरह से अनाथ हो गया। लेकिन जैसे ही यह बात शिव को पता चली तो उनसे रहा नहीं गया।
शिव वहां पर गए और वह हिरण का बच्चा अपने घर पर ले कर आए। इसके बाद उन्होंने उस हिरण के बच्चे को अपने घर के सदस्य की तरह ही पाल पोस कर काफी अच्छे से उसकी देखभाल की। उसकी हर जरूरत को पूरा किया और उसके साथ बिल्कुल अपने घर के बच्चे की तरह ही व्यवहार किया। इसके बाद जब उस बच्चे को विदा करने की बारी आई तो सभी की आंखें नम हो गई।
जब हिरण का बच्चा पूरी तरह से बड़ा हो गया तब उसे एक रेस्क्यू सेंटर पर भेजने का फैसला किया गया। यह रेस्क्यू सेंटर जोधपुर के लोहावट में मौजूद हैं। लेकिन वहां पर भेजने से पहले ही हिरण के बच्चे को घर पर काफी अच्छी तरीके से विदाई दी गई और जिस तरह से किसी इंसान के लिए हम फेयरवेल पार्टी अरेंज करते हैं ठीक उसी तरह से इस हिरण के बच्चे के लिए भी घर पर कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
शिव सुहाग और उनके परिवार वालों ने हिरण के बच्चे को विदा करने से पहले अपने घर पर रात्रि जागरण का आयोजन करवाया। पूजा पाठ के साथ भजन और कीर्तन भी रखे गए। इतना ही नहीं बल्कि अपने गांव वालों के लिए रात्रि भोज का भी आयोजन करवाया। उसके बाद अगले दिन सभी ने नम आंखों से हिरण के बच्चे को विदाई दी। शिव सुहाग और उनके परिवार के द्वारा किया गया यह काम सचमुच में पशु प्रेम का सर्वोत्तम उदाहरण है।
This website uses cookies.
Leave a Comment