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काशी, बनारस और वाराणसी, जाने क्या है ये तीनों नाम के पीछे का इतिहास

उत्तर प्रदेश में स्थित काशी विश्वनाथ धाम भारत की सांस्कृतिक राजधानी कहलाती है। काशी विश्वनाथ में आते ही हर किसी को मोक्ष मिलने की अपेक्षा रहती है। काशी विश्वनाथ धाम भगवान भोलेनाथ शिव शंकर का सबसे प्रमुख धाम है। परंतु इस क्षेत्र को न केवल काशी बल्कि बनारस और वाराणसी के नाम से भी पुकारा जाता है। इस लेख में हम आपको इन तीनों नामों के पीछे का असली कारण बताने जा रहे हैं।

क्यों कहते हैं काशी?

इस शहर का नाम काशी 3000 वर्षों से भी अधिक पुराना है। काशी यह नाम का उल्लेख शास्त्रों में भी किया गया है। काशी का मतलब होता है चमकता हुआ। भोलेनाथ शिव शंकर की या नगरी हमेशा चमचमाती हुई रहती थी इसलिए कहा जाता है कि इसका नाम काशी रखा गया। काशी नाम का उल्लेख ऋग्वेद में भी हुआ है और स्कंद पुराण में भी हुआ है। इसके साथ ही इस नाम का उल्लेख कई लोकगीतों में भी हो चुका है।

क्यों कहते हैं बनारस?

बता दें कि इस शहर का नाम बनारस अंग्रेजों और मुगलों के शासन काल के समय पड़ा। बताया जाता है कि यहां पर एक बनार नाम का राजा रहता था और उसके नाम पर ही इस शहर का नाम बनारस पड़ गया। बताया जाता है कि बनार राजा की मृत्यु मोहम्मद गौरी के साथ लड़ते हुए हो गई थी। बताया जाता है कि अंग्रेजो के द्वारा जब काशी में रंग बिरंगी चीजों को देखा गया तो उस पर से ही इस शहर का नाम बनारस रख दिया गया।

क्यों कहते हैं वाराणसी?

इस शहर का नाम वाराणसी दो नदियों के नाम पर पड़ा है। जानकारी के अनुसार यहां से वरुणा नाम की नदी बहती है जो उत्तर में जाकर गंगा से मिलती है। इसके साथ ही यहां से असि नाम की एक और नदी बहती है जो दक्षिण में जाकर गंगा से मिलती है। इन दो नदियों के नाम पर ही इस शहर का नाम वाराणसी रखा गया ऐसा भी कहा जाता है।

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