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नेत्रहीन होकर रामायण को अमर कर गए रविंद्र जैन, जानिए पूरी जीवनी

साल 1987 में आई रामानंद सागर के द्वारा बनाई गई रामायण मालिका से आप सभी लोग अच्छी तरह से वाकिफ है। यह रामायण मालिका कई महीनों में लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाने में सफल साबित हुई फिर मिला लेकिन इसमें सबसे बड़ा योगदान रविंद्र जैन का बिरहा। जिन्होंने इस रामायण मालिका में एक बेहतरीन म्यूजिक प्रदान किया। रामायण सीरियल देखने पर उसने के गीत आज भी हमें मंत्रमुग्ध कर देते हैं जिसके लिए सबसे बड़ा योगदान रविंद्र जैन का ही रहा है।

बता दे की रविंद्र जैन का जन्म 28 फरवरी 1944 के दिन उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले में हुआ था। रविंद्र जैन के पिता इंद्रमणि जैन संस्कृत के प्रकांड पंडित से। रविंद्र जैन बचपन से ही नेत्रहीन थे। इसलिए उन्हें पढ़ाई के लिए नेत्रहीन विद्यार्थियों की स्कूल में ही डाला गया। लेकिन रविंद्र जैन को आगे एकेडमिक पढ़ाई करने का अवसर नहीं मिला। इसके बाद उनकी रूचि भी संगीत के तरफ की ज्यादा थी इसलिए उन्होंने संगीत के क्षेत्र में ही जाना उचित समझा। इसलिए वह शुरुआती तौर पर अपने गांव में ही मंदिरों में भजन-कीर्तन किया करते थे।

कुछ समय बाद अवसर मिलने पर उन्होंने संगीत की शिक्षा हासिल करने के लिए मुंबई का रुख किया। मुंबई में संगीत की शिक्षा हासिल करने के बाद उन्हें काम की तलाश में कोलकाता जाना पड़ा। कोलकाता जाकर उन्होंने पांच रेडियो स्टेशंस पर अपना ऑडिशन दिया। लेकिन सभी रेडियो स्टेशन में उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया। जिसके बाद साल 1960 में रविंद्र जैन के गुरु शाम झुनझुनवाला ने अपनी फिल्म में म्यूजिक देने के लिए रविंद्र जैन को कोलकाता से वापस मुंबई आने का निमंत्रण दिया।

इसे बार साल 1971 में लोरी नाम की एक फिल्म बनाई गई। उस फिल्म में रविंद्र जैन के द्वारा ही म्यूजिक दिया गया। रविंद्र जैन के द्वारा दिए गए म्यूजिक पर उस समय के मशहूर सिंगर मोहम्मद रफी ने आवाज दी। इतना ही नहीं बल्कि लता मंगेशकर और आशा भोसले ने भी उस फिल्म के गानों में अपनी आवाज भी। लेकिन दुर्भाग्य था कि उस फिल्म को बड़े पर्दे पर रिलीज़ ही नहीं किया गया। इसके बाद साल 1972 में एक और फिल्म आई कांच और हीरा। इस फिल्म में भी मोहम्मद रफी के द्वारा गाने गाए गए और रविंद्र जैन का म्यूजिक था। लेकिन यह फिल्म पूरी तरह से फ्लॉप साबित हुई।

इसके बाद साल 1973 में फिल्म आई सौदागर। उस फिल्म में भी रविंद्र जैन को म्यूजिक देने का मौका मिला और उन्होंने उस समय के मशहूर सिंगर किशोर कुमार से घुंघरू की तरह बजता ही रहा हूं मैं यह गाना गवाया। इसके बाद रविंद्र जैन की किस्मत का तारा चमक गया और उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्होंने इसके बाद कई सारी बड़ी फिल्मों में अपना म्यूजिक दिया। रविंद्र जैन ना सिर्फ हिंदी भाषा में बल्कि मलयालम भाषा में भी कई सारे म्यूजिक एल्बम बनवाएं जो उस समय मंदिरों में भजन के तौर पर लोगों की आस्था में चार चांद लगाते थे।

इसके बाद साल 1987 में आई रामानंद सागर की सबसे मशहूर मालिका रामायण में भी रविंद्र जैन का ही म्यूजिक प्रयोग किया गया। जो काफी हिट साबित हुआ। रविंद्र जैन ने सिर्फ रामायण में ही म्यूजिक नहीं दिया बल्कि उन्होंने भगवत गीता का भी हिंदी भाषा में सरल अनुवाद करके दिखाया था। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने कुरान का भी कठिन अरबी भाषा से सरल उर्दू भाषा में अनुवाद किया था। साल 1985 में राम तेरी गंगा मैली फिल्म के म्यूजिक के लिए रविंद्र जैन को बेस्ट म्यूजिक डायरेक्टर का अवॉर्ड दिया गया। इसके बाद साल 2015 में उन्हें पद्मश्री सम्मान से भी नवाजा गया। लेकिन 8 अक्टूबर 2015 का दिन रविंद्र जैन ने अंतिम सांस ली और वह इस दुनिया को विदा कर चले गए।




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