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15 साल की उम्र में ही खड़ी कर दी 100 करोड़ टर्नओवर की कंपनी, 200 कर्मचारियों को दिया रोजगार

आमतौर पर हम देखते हैं कि 15 साल के बच्चे के दिमाग में क्या विचार रहते हैं। उसके दिमाग में सबसे पहला तो विचार उसकी स्कूल का रहता है और दूसरा विचार आता है खेलकूद का। लेकिन मुंबई के रहने वाले तिलक मेहता जब केवल 15 साल के थे तो उन्होंने एक स्टार्टअप बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचा। ना सिर्फ सोचा बल्कि उस पर अमल भी किया और आज उनका बिजनेस काफी ज्यादा सफल है।

साल 2005 में मुंबई में जन्मे तिलक मेहता जब 15 साल के हुए तो उन्होंने एक संयोग से अपना नया स्टार्टअप बिजनेस शुरू करने के बारे में सोचा। अपना यह नया बिजनेस शुरू करने का ख्याल भी उनके दिमाग में एक घटना की वजह से आया। दरअसल उनके पिताजी विशाल मेहता दिन भर काम करके थके हारे शाम को अपने घर लौटे। उस समय तिलक को अपनी स्कूल की कॉपियां लाने मार्केट जाना था। लेकिन पिताजी को थका हारा देखकर तिलक ने उनसे मार्केट चलने की डिमांड नहीं चाहिए। लेकिन इसी में से तिलक के दिमाग में एक बत्ती जल गई।

तिलक मेहता ने सोचा कि भले ही आज मैं अपने पिताजी के साथ एक फोटो से कारण की वजह से मार्केट जाकर अपनी कॉपी नहीं ले आ सका। लेकिन मैं दूसरे सभी विद्यार्थियों के लिए एक ऐसा सार्थक शुरू करूंगा जिससे किसी भी बच्चे को 24 घंटे के अंदर उसके द्वारा मांगी गई थी उस तक पहुंच जाएगी। इसलिए इस कुरियर सर्विस के स्टार्टर का विचार सबसे पहले तिलक मेहता ने अपने पिताजी को बताया। पिताजी ने भी बच्चे की बात पर हंसी ठिठोली ना करते हुए गंभीरता से ध्यान दिया।

तिलक के पिता विशाल ने यह आइडिया तिलक के माध्यम से ही एक बैंक अधिकारी घनश्याम पारेख के साथ शेयर किया। घनश्याम पारेख को भी यह आइडिया काफी अच्छा लगा और उन्होंने भी इसमें योगदान देने की बात कही। उन्होंने इस आईडिया को इतना ज्यादा सीरियसली लिया कि अपनी सरकारी नौकरी छोड़ कर वह इस स्टार्टअप में जुट गए और 15 साल के तिलक को अपना मालिक मान लिया।

इस तरह से कोरियर कंपनी की शुरुआत हुई। लेकिन शुरुआत में इसे बहुत ही छोटे स्तर पर शुरू किया गया था। इसलिए तिलक ने सबसे पहले जाकर मुंबई के डब्बे वालों का साथ लेने के बारे में सोचा। मुंबई के डब्बे वालों ने भी तिलक का साथ देने में हामी भरी। इसके बाद मुंबई की कई सारी स्टेशनरी की दुकानों से भी बातचीत की गई और एक पूरा सेटअप खड़ा कर दिया गया। इस तरह से छोटे स्तर पर इस बिजनेस की शुरुआत की गई।

तिलक मेहता ने अपने इस बिजनेस का नाम पेन एंड पेंसिल कुरियर सर्विस रखा। जिससे पहचाना जा सके कि इस बिजनेस का आईडिया कहां से आया है। धीरे-धीरे मुंबई के डब्बे वालों के सहयोग से तिलक मेहता की कोरियर सर्विस आगे बढ़ती चली गई और आगे चलकर कई सारे बूटीक और स्टेशनरी वाले भी इसमें जुड़ गए। और इस तरह से तिलक मेहता नाम के छोटे बच्चे के द्वारा शुरू किया गया या बिजनेस आज 100 करोड़ के सालाना टर्नओवर तक पहुंच गया। आज के समय में तिलक मेहता के साथ मुंबई के 300 डब्बे वाले और अन्य 200 कर्मचारी काम कर रहे हैं।

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