कहते हैं इंसान को अपनी जिंदगी में सदा आगे बढ़ते रहना चाहिए। किसी भी मुकाम को हासिल करने के बाद यह नहीं सोचना चाहिए कि अब बस हुआ इसके आगे नहीं जाना है। लगातार आगे बढ़ते रहने की प्रेरणा देती हुई एक ऐसी ही मिसाल हम आपको इस लेख में बताने जा रहे हैं जिसे सुनकर आपको भी काफी प्रेरणा मिलेगी। हम जिस व्यक्ति की बात कर रहे हैं उनका नाम है आईपीएस विजय सिंह गुर्जर। इस लेख में हम आपको विजय सिंह गुर्जर के आईपीएस विजय सिंह गुर्जर बनने की संघर्षमई कहानी बता रहे हैं।
विजय सिंह गुर्जर राजस्थान के रहने वाले हैं। विजय सिंह का जन्म बहुत ही सामान्य आर्थिक परिस्थिति वाले परिवार में हुआ था। विजय के पिता खेती किसानी का काम किया करते हैं और विजय की मां सामान्य गृहिणी हैं। विजय के पांच भाई बहन हैं और पांच भाई-बहनों में विजय तीसरे नंबर के। इतने बड़े परिवार का पालन पोषण करना विजय के पिता के लिए बिल्कुल भी आसान नहीं था। इसलिए विजय खेती किसानी करने में अपने पिताजी की मदद करते थे। लेकिन सिर्फ खेती किसानी से परिवार का पेट नहीं भरा जा सकता था।
इसलिए दूसरे आर्थिक साधन के तौर पर विजय उंटो को ट्रेनिंग देने का काम करते थे। विजय उंट को ट्रेनिंग देकर उन्हें खेत में जुताई के लायक बनाते थे और पुष्कर में लगने वाले मेले में उंट बेचते थे। ऐसा करने से जो कमाई होती थी उससे विजय के पूरे परिवार का घर चलता था। ऐसी सारी परिस्थितियों में विजय ने जैसे तैसे अपनी पढ़ाई पूरी की और पढ़ाई पूरी करते ही किसी नौकरी की तलाश में दिल्ली पहुंच गए।
विजय सिंह दिल्ली में अपने किसी दोस्त की पहचान से पहुंचे थे। जिसके बाद उनके दोस्त ने उन्हें बताया कि दिल्ली पुलिस कांस्टेबल की भर्ती होने जा रही हैं तो विजय ने उस भर्ती के लिए आवेदन दे दिया। उस भर्ती में विजय को 100 में से 89 अंक प्राप्त हुए जिसके बलबूते पर विजय को दिल्ली पुलिस में जून 2010 में कांस्टेबल की नौकरी मिल गई। लेकिन विजय का मन उस नौकरी में बिल्कुल नहीं लगता था क्योंकि विजय अपने जीवन में कुछ बड़ा करने का सपना देख रहे थे।
कांस्टेबल की नौकरी करने के दौरान ही उन्होंने एसएससी सीजीएल का फॉर्म भरा और उन्हें उसमें भी सफलता मिल गई। जिसके बाद साल 2014 में उन्होंने कस्टम अवसर के तौर पर जॉइनिंग कर लिया। लेकिन विजय ने यूपीएससी की तैयारी इसी दौरान शुरू कर दी थी और उन्होंने अपना पहला अटेंड साल 2013 में ही दिया था। लेकिन विजय अपने पहले अकाउंट में प्रीलिम्स की क्रैक नहीं कर पाए थे। परंतु उन्होंने किसी भी तरह से हिम्मत नहीं हारी और लगातार अपनी पढ़ाई जारी रखी।
विजय ऑनलाइन तरीके से ही जब समय मिलता था तब अपनी पढ़ाई करते रहे। उन्होंने कई सारे जर्नल और मॉक टेस्ट ऑनलाइन तरीके से ही हल किए। साल 2018 में जब विजय ने फिर एक बार यूपीएससी की परीक्षा दी तो केवल 10 अंक से विजय मेंस में पास होने से रह गए। लेकिन फिर भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और आज विजय आईपीएस अफसर बन गए हैं। विजय बताते हैं कि उन्हें इस बात की काफी खुशी है कि जो सपना उन्होंने देखा था उस सपने को उन्होंने पूरा कर लिया।
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